डॉक्टर्स प्रोग्राम (2016 से 2022)

भारत की आबादी 1.3 बिलियन है, मगर हमारे देश में केवल पच्चीस हज़ार मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए मानसिक बीमारियों के प्रबंधन में प्रशिक्षित लोगों की संख्या को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। प्राथमिक स्वास्थ्य डॉक्टर को अगर सामान्य मानसिक विकारों की पहचान, निदान और चिकित्सा के बारे में पर्याप्त प्रशिक्षण दी जाए तो वे इस अभाव को कम करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अगर लोग मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के पास जाने से कतराते हैं तो उन मामलों में वे पहले स्तर पर हस्तक्षेप का माध्यम भी हो सकते हैं।  

कार्यक्रम के बारे में

इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सकों की क्षमता को बढ़ाना था और इसके दो मॉडल थे: सतत चिकित्सा शिक्षा (कंटिन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन) (सीएमई) सत्र और सामान्य मानसिक विकारों (कॉमन मेंटल डिसॉर्डर्स) में सर्टिफिकेट कोर्स।


कंटिन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन मॉडेल  


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के साथ साझेदारी में विकसित किए गये इस मॉडेल का उद्देश्य था भाग लेने वाले चिकित्सकों को पर्याप्त जानकारी प्रदान करना और उन्हें प्रभावी और संवेदनशील तरीके से मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं वाले रोगियों का इलाज करने में सक्षम बनाना।  

मनोरोग विशेषज्ञों (साइकियाट्रिस्टों) ने प्रैक्टिस कर रहे सामान्य चिकित्सकों (जनरल फिज़िशन्स) और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं (स्टूडेंट्स) के लिए सत्रों का संचालन किया और हल्के से मध्यम दर्जे के मानसिक विकार के मामलों की पहचान और चिकित्सा प्रणाली में प्रशिक्षित किया।     


सर्टिफिकेट कोर्स मॉडेल  


यह सर्टिफिकेट कोर्स ऑनलाइन था और इसकी अवधि पाँच महीनों थी। इससे प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सकों को सामान्य मानसिक विकारों की पहचान, प्रबंधन और इलाज के बारे में अपने ज्ञान, कौशल और विशेषताओं का विस्तार करने में मदद मिली। इसमें मानसिक स्वास्थ्य और नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर उच्च स्तर के ट्रैनिंग मॉडयूल भी शामिल थे।  


ये दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और कोलकाता के प्रतिभागियों के लिए उपलब्ध थे। 


इस कार्यक्रम से साक्ष्यों पर आधारित मानक शिक्षण प्रोटोकॉल और मॉड्यूल्स के विकास और आधुनिकरण, प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सकों और विशेषज्ञों का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क बनाने और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति के बारे उन्हें लगातार जानकारी देने में भी मदद मिली। 


  • डिलीवरी का माध्यम
    ऑनलाइन
  • वितरण की भाषा
    अंग्रेजी
  • शहर
    दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और कोलकाता

गुणात्मक प्रभाव

  • सामान्य मानसिक विकारों की पहचान, प्रबंधन और इलाज के बारे में प्रतिभागियों के सामान्य ज्ञान के स्तर में सुधार कर पाए 

  • अपने क्लीनिकल प्रैक्टिस में अधिक संख्या में सामान्य मानसिक विकार वाले रोगियों की पहचान कर पाएँ 

  • प्राप्त ज्ञान और कौशल का उपयोग करने में आत्मविश्वासी हो पाए

सर्टिफिकेट कोर्स

सामान्य मानसिक विकारों में सर्टिफिकेट कोर्स


2016 में शुरुआत से लेकर

  • तक इसे पहुँचाया गया है
    2,300+
    पूरे देश में

प्रशंसा पत्र

भारत में ट्रीटमेंट गैप (बीमारी और उपचार में अंतर) 70% से अधिक है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2020 तक लगभग 20% आबादी मानसिक बीमारियों से पीड़ित होगी। इन चुनौतियों को संबोधित करने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े पेशेवरों / हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को तथ्यों पर आधारित तकनीकों के माध्यम से एवं चिकित्सा क्षेत्र की नई प्रगति के बारे में प्रशिक्षित करना पीएचएफआई की प्रतिबद्धता है। समुदाय का कोई भी सदस्य चिकित्सा के लिए सबसे पहले प्राथमिक चिकित्सक से संपर्क करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें सामान्य मानसिक विकारों के प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाए। यह कोर्स प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करने और समस्त  सेवाओं को रोगी केंद्रित और सुविधाजनक बनाने का एक प्रयास है।

डॉ. संदीप भल्ला - प्रशिक्षण के प्रमुख, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया

मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिक देखभाल का हिस्सा होना चाहिए। दुनिया भर में  मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों की उपेक्षा में इससे जुड़े सामाजिक कलंक का बड़ा योगदान है। लोग अभी भी यह मानते हैं कि मानसिक बीमारी कुल आबादी के एक बहुत छोटे से हिस्से को प्रभावित कर सकती है। वैश्विक स्तर पर  मानसिक, न्यूरोलॉजिकल एवं नशीले पदार्थों के विकार से पीड़ित कुल लोगों में से 15 प्रतिशत लोग भारतीय हैं। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की यहां कमी है। इसे देखते हुए, एएचपीआई प्राथमिक देखभाल करने वाले चिकित्सकों को सामान्य मानसिक विकारों में प्रशिक्षित करने के लिए टी एल एल एल एफ और  पीएचएफआई के साथ मिलकर काम करता है। यह पीड़ितों की इस बढ़ती तादाद से निपटने और बीमारी की सही पहचान कर समय पर उनका इलाज करने की दिशा में एक कदम है।

डॉ. अलेक्जेंडर थॉमस, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स

“आम मानसिक बीमारियों के बारे में मुझे पर्याप्त जानकारी नहीं थी, मगर इस ट्रैनिंग को समझने के बाद मुझे इनकी चिकित्सा करने का आत्मविश्वास मिला है। मैं एक वरिष्ठ कंसल्टेंट चिकित्सक हूँ और मेरे पास आम मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोग अक्सर आते हैं जिनका इलाज अब मैं अधिक सक्षमता से कर सकता हूँ।”

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