हेल्पलाइन
#आप अकेले नहीं हैं
अगर आप इस बारे में जागरूक हों कि आपको तनाव है तो अगला कदम होगा यह जानना कि इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अपनी देखभाल के तरीकों को अपनाना एक प्रभावी शुरुआत हो सकती है। कुछ विशेष गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से तनाव को नियंत्रित करने की कला आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन सकती है।
खुद को शांत करने के लिए प्राणायाम का अभ्यास करें, अपने पसंदीदा गाने सुने या किसी शौक के लिए समय निकालें।
नियमित रूप से योग और ध्यान करने से तनाव कम होता है।
नियमित रूप से सिर्फ 30 मिनिट चलने से आपकी सेहत को फायदा हो सकता है।
इससे आप हर पहलू पर गौर कर पाएंगे और यह समझ पाएंगे कि आपके तनाव के पीछे क्या कारण हैं।
हर दिन करने वाले कार्यों की एक सूची बनाने से यह साफ पता चल जाता है कि कौन से काम करने है और किस काम को प्राथमिकता देनी है। साथ ही समझ आ जाता है कि कौन-सा काम जरूरी नहीं है। योजना बनाने से आप जरूरी कार्यों की पहचान करके अपने समय का भी सदुपयोग कर पाएंगे और यह जान पाएंगे की उन्हें कितनी जल्दी करना है।
अध्ययनों से पता चला है कि ताज़े फल और सब्ज़ियों से प्राप्त विटामिन और मिनरल तनाव को कम करने में मदद करते हैं। दूसरी तरफ, अगर आपके आहार में संसाधित और आसानी से बन जाने वाला खाना, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और चीनी युक्त नाश्ता बहुत ज्यादा हो, तो इससे तनाव के लक्षण बिगड़ सकते हैं।
ऐसे लोगों से बात करें जिनपर आपको भरोसा हो और जिनके साथ आप खुलकर बात कर सकते हैं। उन्हीं लोगों से आपको भावनात्मक समर्थन और वास्तविक मदद मिलेगी।
आपने ध्यान दिया होगा कि आपका कोई दोस्त या परिवार का सदस्य तनावग्रस्त है और इस स्थिति से जूझने में असमर्थ है। इस स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर की मदद लेने पर ज़ोर देने के साथ-साथ आप वास्तविक रूप से उनकी कई तरह से मदद कर सकते हैं।
जब कोई तनाव में हो तो उसे अपना समय देना और उसकी बातों को मन लगाकर सुनना उसकी मदद करने का एक बेहतरीन उपाय है।
किसी शौक को पूरा करना, ट्रेक पर या टहलने जाना, गाने सुनना या कसरत करना ऐसी गतिविधियां हैं जो आप उनके साथ मिलकर कर सकते हैं।
मुसकुराना, हाथ पकड़ना, बाहों में लेना, अपना कंधा देना ऐसे संकेत हैं जिनसे तनाव से जूझ रहे व्यक्ति को सुकून मिलता है।
संपर्क बनाए रखने से और बीच-बीच में उनकी खबर लेते रहने से वे आश्वस्त और समर्थित महसूस करेंगे।
अक्सर लोग तनाव के कई लक्षणों की पहचान खुद नहीं कर पाते हैं (जैसे कि खाने या सोने की आदतों में परिवर्तन, या एकाग्रता की समस्या)। कभी-कभी उनसे पहले आप ऐसे लक्षणों की पहचान कर सकते हैं।
अगर आपको लग रहा है कि वे तनाव से सही ढंग से नहीं निपट पा रहे हैं तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मदद लेने पर ज़ोर दें। यह भी बताएँ कि आप उनके साथ चल सकते हैं।
नहीं, तनाव हमेशा बुरा नहीं होता है। परिमित मात्रा में तनाव हमें चुनौतिपूर्ण स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है। जैसे कि परीक्षा के दौरान या काम से जुड़ी ऐसी स्थितियों में तनाव के कारण हम उस काम पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। मगर हद से ज़्यादा तनाव हमें व्याकुल बना सकता है, जिसके चलते हमारी प्रतिक्रिया नकारात्मक हो सकती है, और यह कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का रूप ले सकती है।
अभी से! तनाव को नियंत्रण में रखना एक निरंतर और दैनिक प्रक्रिया है और इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने की शुरुआत में कभी भी बहुत जल्दी या बहुत देर नहीं होती है।
अपनी मदद स्वयं करने के कई कारगर उपाय हैं, मगर किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का मार्गदर्शन अधिक फायदेमंद होता है। वे अपने तनाव के बारे में बात करने में और इसके मुख्य कारणों की पहचान करने में आपकी मदद करेंगे। साथ ही, वे तनाव को नियंत्रित करने के उपाय भी सुझाएंगे।
अत्यधिक तनाव के कारण आप आसानी से उत्तेजित या मिज़ाजी हो सकते हैं, स्थिति पर नियंत्रण खो देने का एहसास आपको व्याकुल बना सकता है, खुद को आप बेकार लग सकते हैं और आप आराम करने में असमर्थ हो सकते हैं। ऐसी परिस्थितियों में उचित होगा कि आप मदद के लिए किसी विशेषज्ञ से मिलें।
दवा कुछ समय के लिए मददगार होती है, मगर तनाव से निपटने का लंबे अर्से का सबसे असरदार उपाय खुद को शांत करने और तनाव को नियंत्रित करने के तरीकों को अपनाना है। कोई भी दवा लेने से पहले कृपया किसी साइकियाट्रिस्ट की सलाह लें।
तनाव और चिंता के शारीरिक उपसर्ग एक जैसे लग सकते हैं, मगर ये समानार्थक शब्द नहीं हैं। तनाव किसी ऐसे बदलाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया है जिसमें शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक समायोजन या अनुक्रिया की आवश्यकता पड़ती है। इसका प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों हो सकता है।
दूसरी तरफ, चिंता के पीछे डर, असहजता या व्यग्रता जैसे कारक होते हैं। रोज़मर्रा की जिंदगी में चिंता हम सभी को होती है मगर यह पैनिक अटैक, फोबिया, सामाजिक उद्वेग और इस तरह के अन्य कई लक्षणों के रूप में भी उभरकर सामने आ सकती है। इसके अलावा, तनाव एक अस्थायी स्थिति हो सकती है, मगर चिंता लंबे समय तक चलने वाली एक निरंतर और व्यापक समस्या हो सकती है।
हालांकि यह एक व्यक्तिगत फैसला है, मगर आपके ऐसा ना करने की कोई वजह नहीं है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन की तलाश करने में किसी तरह का संकोच नहीं करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाना बुखार आने पर या हड्डी टूट जाने पर किसी चिकित्सक के पास जाने जैसा ही है।
#आप अकेले नहीं हैं