केनचम्मा में मानसिक बीमारी के लक्षण दिख रहे थे, जिसमें भूख कम लगना और नींद की गड़बड़ी शामिल थे। उसके परिवार को लगा कि ऐसा बुरी आत्माओं और भगवान से मिली सजा के कारण हो रहा है। वे मंदिरों में गए लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।
इसके बाद उसे पड़ोसी जिले के एक वार्ड में भर्ती कराया गया, जहाँ परिवार ने इलाज, दवा, यात्रा आदि पर भारी खर्च किया। मगर चूंकि वे नियमित रूप से दवाईयों का खर्च नहीं उठा पा रहे थे, इसलिए उसके लक्षण दोबारा दिखाई देने लगे।
2019 में उसने अपने गाँव में एक चिकित्सा शिविर में भाग लिया और उसे मुफ्त इलाज और दवा मिलने लगी। उसके माता–पिता अब हर महीने पैसे बचा पाते हैं। उसकी हालत अब स्थिर है, और वह अब कपड़े सिलकर अपने लिए पैसे कमाती है। वह घरेलू काम भी करती है, अपने बूढ़े माता–पिता की देखभाल करती है और खेती के काम में अपने भाई की मदद भी करती है।