भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति नज़रिया

एलएलएल 2018 राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों की धारणाओं और रवैये को समझने की तरफ उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके आधार पर आगे चलकर प्रभावी रणनीतियों, कार्यक्रम एवं अन्य हस्तक्षेपों को तैयार किया गया है।

गुणात्मक, गहन साक्षात्कार और मात्रात्मक, आमने-सामने लिए गए साक्षात्कार, दोनों के सम्मेलन से किए गये इस अध्ययन में देश के 8 शहरों से लगभग 3556 व्यक्तियों को शामिल किया गया था। उनकी प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण के माध्यम से फिर से इस बात की पुष्टि हुई कि समाज के सभी वर्गों में कलंक को तोड़ने और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक जागरूकता की कितनी ज़्यादा जरूरत है।


इस रिपोर्ट में उपलब्ध जानकारी का इस्तेमाल और प्रसार केवल शैक्षिक या गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। किसी भी ऐसे उपयोग को अधिकृत करने के लिए द लिव लव लाफ फाउंडेशन ("टीएलएलएलएफ") से पहले से इजाजत लेनी होगी। ऐसे आवेदनों में info@thelivelovelaughfoundation.org को संबोधित किया जाएगा। 

अस्वीकारोक्ति: टीएलएलएलएफ ने इस रिपोर्ट में प्रकाशित तथ्यों को सत्यापित करने के लिए सभी उचित सावधानियों पर ध्यान दिया है। हालांकि, प्रकाशित जानकारी का वितरण किसी भी प्रकार की व्यक्त या निहित वारंटी के बिना किया जा रहा है। जानकारी की व्याख्या और उपयोग की जिम्मेदारी पाठक की है। किसी भी हालात में इसके उपयोग से उत्पन्न क्षति की देयता टीएलएलएलएफ की नहीं होगी।

निष्कर्ष

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62%

प्रतिभागियों ने मानसिक रोग से ग्रसित लोगों का वर्णन करने के लिए 'मंदबुद्धि'/ ‘सनकी’/ ‘पागल’/ ‘बुद्धू’/ ‘लापरवाह’/ ‘गैर-जिम्मेदार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया

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60%

उत्तरदाताओं का मानना है कि आत्मानुशासन और इच्छा शक्ति की कमी मानसिक बीमारी के प्रमुख कारण हैं

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60%

उत्तरदाताओं का मानना है कि मानसिक रूप से बीमार लोगों का अपना अलग समूह होने चाहिए ताकि वे स्वस्थ्य लोगों को दूषित ना करें

रिपोर्ट लॉन्च इवेंट

भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति नज़रिया: एलएलएल 2018 राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट

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