भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति नज़रिया

२०२१ के यह राष्ट्रव्यापी अध्ययन भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति नज़रिये में आए में महत्वपूर्ण बदलावों की ओर इशारा करता है। इसके निष्कर्षों से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में देश के विचारों में उल्लेखनीय बदलाव आए हैं, विशेष रूप से उपचार और मानसिक बीमारी वाले लोगों के प्रति धारणा के क्षेत्रों में।

इस रिपोर्ट में उपलब्ध जानकारी का इस्तेमाल और प्रसार केवल शैक्षिक या गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। किसी भी ऐसे उपयोग को अधिकृत करने के लिए द लिव लव लाफ फाउंडेशन ("टीएलएलएलएफ") से पहले से इजाजत लेनी होगी। ऐसे आवेदनों में info@thelivelovelaughfoundation.org को संबोधित किया जाएगा। 


अस्वीकारोक्ति: टीएलएलएलएफ ने इस रिपोर्ट में प्रकाशित तथ्यों को सत्यापित करने के लिए सभी उचित सावधानियों पर ध्यान दिया है। हालांकि, प्रकाशित जानकारी का वितरण किसी भी प्रकार की व्यक्त या निहित वारंटी के बिना किया जा रहा है। जानकारी की व्याख्या और उपयोग की जिम्मेदारी पाठक की है। किसी भी हालात में इसके उपयोग से उत्पन्न क्षति की देयता टीएलएलएलएफ की नहीं होगी।

निष्कर्ष

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96%

३४९७ उत्तरदाताओं में से ९६ प्रति शत कम से कम एक मानसिक बीमारी के बारे में अवगत हैं, २०१८ में ८७ प्रति शत की तुलना में।

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92%

नौ शहरों में रहने वाले ९२ प्रति शत उत्तरदाताओं ने इलाज की खोज की और मानसिक बीमारी के इलाज की खोज करने वाले व्यक्ति का समर्थन किया। २०१८ में ऐसे लोगों की संख्या ५४ प्रति शत थी।

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65%

६५ प्रति शत उत्तरदाताओं का मानना है कि मानसिक बीमारी वाले व्यक्ति नौकरी कर सकते हैं और सुस्थिर एवं स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, जो २०१८ के ३२ प्रति शत की तुलना में नाटकीय परिवर्तन है।

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