आत्म देखभाल / समर्थन

बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करना


"हजार मील की यात्रा एक कदम से शुरू होती है" - लाओ त्सु

दुनिया भर के लोगों में हर साल के आखिर में एक आम प्रथा देखी जाती है। वह है नए साल के लक्ष्य निर्धारित करना। कुछ लोगों के लिए यह आसान हो सकता है, लेकिन कई लोगों के लिए संकल्प निर्धारित करने का विचार ही अपनेआप में तनावपूर्ण हो सकता है। जो लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए नव वर्ष का आगमन अक्सर परेशानी भरा होता है। एक ओर जहां अन्य लोग वर्ष के अंत का जश्न मनाते हैं और अपने संकल्पों को लेकर उत्सुकता से बातचीत करते हैं, वहीं मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए नए साल के संकल्प स्वयं निर्धारित करना एक कठिन काम हो सकता है।

संकल्प क्या होता है? संकल्प शब्द का अर्थ है अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने के लिए या किसी चीज को करने या छोड़ने का निर्णय लेना। संकल्प वे लक्ष्य होते हैं जिन्हें व्यक्ति कम समय या वर्षों में पूरा करना चाहता है। संकल्प किसी प्रयोजन की भावना को जगाता है, और उसे पूरा करने से उपलब्धि का अहसास होता है। संकल्पों की कुंजी बड़े लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए नहीं होती है, बल्कि दिन प्रतिदिन के आधार पर हासिल किए जाने वाले लक्ष्यों के लिए संकल्प लिया जाता है। यहाँ कुछ ऐसे लक्ष्य दिए गए हैं जो हमारी मानसिक भलाई को बढ़ाने में काम करते हैं। आप या तो ये सारे हर दिन कर सकते हैं या प्रतिदिन किसी एक काम को चुन सकते हैं।

 

  • व्यायाम- नियमित व्यायाम से हमारे शरीर में कोर्टिसोल (समस्या का प्रतिरोध करना या उससे भागने की प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है। व्यायाम का कोई भी रूप, जैसे कि चलना, दौड़ना या तैरना, हमारी मनोदशा को उन्नत करने की क्षमता रखता है। परिणामस्वरूप व्यायाम चिंता और तनाव में कमी लाकर मन को शांत करता है। इससे होने वाला फर्क को समझने के लिए 20 से 40 मिनट तक व्यायाम करने की कोशिश करें।
  • ध्यान – लंबे समय से मन की शांति के लिए ध्यान का उपयोग किया जा रहा है। तनाव दूर करने के सर्वोत्तम तरीकों में से यह एक है। ध्यान हमारे डोपामाइन (हमारी मनोदशा का निर्धारण कर आनंद का अनुभव कराने वाला हार्मोन) के स्तर को बढ़ाता है। ज़ेन मार्ग के ध्यान का अभ्यास करने वाले लोगों में अवसाद और चिंता के लक्षणों में कमी देखी गई है।
  • जर्नल लिखना – अपने मन की बातें लिखने से किसी भी व्यक्ति को अपनी भावनाएं जाहिर करने में, और दिन कैसा बिता और किस घटना के किस पहलू ने परेशान किया, इन बातों को समझने में मदद मिलती है। वर्ष के आखिर में, आप अपने पुराने पन्नों को पलटकर समझ सकते हैं कि आप कितनी दूर आ गए हैं! 
  • स्वस्थ सामाजिक समूह - एक स्वस्थ सामाजिक दायरा बनाए रखने से अपनेपन और उद्देश्य की भावना में बढ़ोत्तरी होती है। सामाजिक संबंधों से न सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि लंबी अवधि में ये हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं जैसे अच्छी नींद आना, एक अच्छा आहार लेना। दर्जनों अध्ययनों से पता चला है कि जिन लोगों के संबंध परिवार, दोस्तों और उनके समुदाय के साथ संतोषजनक हैं, वे खुश हैं और उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कम ही करना पड़ता है। 
  • स्वस्थ सामाजिक समूह - एक स्वस्थ सामाजिक दायरा बनाए रखने से अपनेपन और उद्देश्य की भावना में बढ़ोत्तरी होती है। सामाजिक संबंधों से न सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि लंबी अवधि में ये हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं जैसे अच्छी नींद आना, एक अच्छा आहार लेना। दर्जनों अध्ययनों से पता चला है कि जिन लोगों के संबंध परिवार, दोस्तों और उनके समुदाय के साथ संतोषजनक हैं, वे खुश हैं और उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कम ही करना पड़ता है। 
  • आभार प्रदर्शन - आभार प्रदर्शन में बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद किए बिना किसी के लिए कुछ किया जाता है। जब कोई व्यक्ति आभार प्रदर्शन करता है, तो उसका दृष्टिकोण पूरी तरह से सकारात्मक होता है और इसके फलस्वरूप वह जलन, निराशा या नाराजगी जैसी नकारात्मक या विषाक्त भावनाओं का अनुभव कम करता है।
  • शौक - आनंद पाने के लिए किसी व्यक्ति के द्वारा फुर्सत के पलों में नियमित रूप से की जाने वाली गतिविधि शौक कहलाती है। शौक में ट्रेक पर जाने से लेकर फिल्म देखने तक की गतिविधि शामिल हो सकती है। यह आपकी रुचि का पता लगाने की एक राह है और दिनभर के कामकाज के बाद आपको आराम दिलाने और शांत करने में मदद करता है।
  • स्वयं की देखभाल - व्यस्त शहरी जीवन में स्वयं की देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर व्यक्ति जीवन की आपाधापी में खुद के लिए समय निकालना भूल जाता है। अपनी देखभाल हेतु किताब पढ़ना, स्पा करवाना या छुट्टी में कहीं घुमने जाने का अभ्यास शामिल हो सकता है।

याद रखें ये आपके लक्ष्य हैं। यदि आपको इन्हें करने का मन नहीं हैं, तो आपको नहीं करना चाहिए। यदि किसी भी समय यह बहुत ज्यादा कठिन लगने लगे तो अपने संकल्पों की सूची को बदलने में किसी प्रकार का संकोच न करें। हर रोज़ एक नई शुरुआत है।

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