आत्म देखभाल / समर्थन

सपोर्ट ग्रुप आपके लिए क्या कर सकता है?


मनुष्य स्वभाव से एक सामाजिक प्राणी है जो स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के प्रति लगाव और अपनेपन की भावना रखता है। यही कारण है कि हम जहां भी होते हैं वहां समुदाय बनाते हैं। किसी समुदाय में परिवार, दोस्तों और विभिन्न अन्य लोग शामिल होते हैं, जिनके साथ हम नियमित रूप से बातचीत करते रहते हैं। हमारे जीवन में समुदाय की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो आसपास की दुनिया के साथ हमारा भावनात्मक सहयोग, सुरक्षा, आराम और आकार प्रदान करता है।

शोध से पता चलता है कि जब किसी व्यक्ति के कम से कम एक या उससे अधिक स्वस्थ रिश्ते होते हैं तो उनके व्यवहार में अधिक लचीलापन होने की संभावना रहती है। व्यवहार में लचीलापन होना एक ऐसा गुण है जिससे तनाव और विपरीत परिस्थितियों से निपटने की क्षमता मिलती है। इस विशेषता के कुछ लक्षण हैं- सकारात्मक दृष्टिकोण, आशावादी होना और भावनाओं पर नियंत्रण रखने की क्षमता।

एक अध्ययन में पाया गया कि किसी व्यक्ति के व्यवहार में जितना अधिक लचीलापन होता है, उस व्यक्ति के लिए मानसिक रोगों के लक्षणों, जैसे तनाव और जीवन की अन्य दुर्घटनाओं का सामना करना उतना ही आसान होता है। इससे पता चलता है कि समुदाय, हमारे जीवन में आने वाली कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना करने और इनसे निपटने में हमारी मदद कर सकते हैं।


वास्तव में, इस अध्ययन में पाया गया कि दोस्तों के साथ स्वस्थ रिश्ते और बेहतर जीवन की आशा का आपस में गहरा संबंध होता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि परिवार के सदस्यों से रिश्तों की तुलना में दोस्तों से रिश्तों का जीवन प्रत्याशा पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों को दूसरों पर भरोसा कर पाना मुश्किल लग सकता है, यहां तक कि उनके नजदीकी लोगों पर भी। इसके साथ ही, मानसिक बीमारी से जुड़ी बदनामी का कलंक भी हाशिए पर पड़े इन व्यक्तियों को बोलने और मदद मांगने को और भी कठिन बना देता है।

इस अंतर को सहायता समूह पाट सकते हैं। ये समूह आपसी सहयोग के लिए अनुभवों को साझा करने, वास्तविक ज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बातचीत के लिए एक वैकल्पिक सुरक्षित स्थान प्रदान कर अंतर की इस खाई को भर सकते हैं। ये समूह ऐसे अनौपचारिक मंच हैं जहां लोग अपनी मानसिक बीमारी, लतों, दीर्घकालिक बीमारी के बारे में बात साझा कर सकते हैं और कभी-कभी इन समस्याओं को लेकर देखभालकर्ताओं के लिए भी यहां आने का विकल्प खुला रख सकते हैं। इन समूहों का उपयोग विभिन्न मानसिक बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए भी किया जा सकता है। यह देखभालकर्ताओं को बीमारी की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए शिक्षित करता है।


किसी सहायता समूह में क्यों शामिल होना चाहिए?

  • कोई भी व्यक्ति सहायता धर्म को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वयं के समुदाय बना सकते हैं और जरुरतमंदों को सामाजिक और भावनात्मक सहारा प्रदान कर सकते हैं।
  • समूह में सम्मिलित जनों की व्यक्तिगत गतिशीलता दूसरों में तेजी से सुधार लाती है और चिकित्सकीय प्रक्रिया में सहायक होती है।
  • सहायता समूहों में सदस्य अपने अनुभव साझा करते हैं जो उन्हें एक दूसरे के साथ बढ़ने, सीखने और सहानुभूति प्रदान करता है। यह इस भावना को भी बढ़ावा देता है कि, "मैं अकेला नहीं हूँ।"
  • वे व्यक्ति जो सहायता की पेशकश करते हैं, उनमें आत्मबल बढ़ने की भावना पैदा होती है, इससे उनका आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • ये समूह ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर्स, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, स्कित्ज़ोफ्रेनिया या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी चिरकालिक बीमारियों से निपटने के लिए एक गैर-औषधीय, सुविधाजनक और सस्ते तरीके के रूप में काम करते हैं।
  • इन समूहों में हिस्सा लेना किसी की अपनी शर्तों पर ही होता है। सदस्यों को किसी भी समय इसमें शामिल होने या इसे छोड़ने की अनुमति होती है।


सेल्फ-हेल्प या स्व-सहायता समूहों की कुछ कमियां क्या हैं?

  • बातों को छिपाकर रखने का काम यहां चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि सहायता समूह के प्रतिभागी इसके लिए बाध्य नहीं होते हैं।
  • प्रतिभागियों को लोगों की भीड़ से भरे कमरे में सबके सामने अपनी बात साझा करने के लिए तैयार रहने की जरूरत होती है।
  • कुछ सदस्यों को दर्शकों की मौजूदगी के कारण इन सत्रों में खुलकर अपनी बात रखने  और संवेदनशील होना मुश्किल भरा लग सकता है।
  • इन समूहों में शामिल होने वाले लोग सत्रों में योगदान करने में सक्षम हों इसके लिए उनमें कुछ हद तक स्वाभाविक रूप से व्यवहार करने की क्षमता होनी चाहिए और दूसरों की आपबीती सुनने के दौरान उत्तेजित नहीं होना चाहिए।

शोध से पता चला है कि सहायता समूहों में भाग लेने से ज्यादातर लोगों को फायदा मिलता है। हालांकि यह एक आम गलत धारणा है कि सहायता समूह औपचारिक चिकित्सा का विकल्प हो सकते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। सच तो यह है कि सहायता समूह औपचारिक साइकोथेरेपी के पूरक होते हैं। हम सभी के शरीर अलग हैं और हर किसी को उपचार के अलग-अलग संयोजनों की आवश्यकता है। यह आवश्यक है कि कोई ऐसा संयोजन खोजा जाए जो व्यक्ति के हिसाब से उसकी आवश्यकताओं के अनुकूल हो।

भारत के कुछ प्रसिद्ध सपोर्ट ग्रुप में शामिल हैं- एल्कोहॉलिक्स एनोनिमस, इंडियन कैंसर सोसाइटी, एक्शन फॉर ऑटिज़्म और आसरा।

यदि आप या आपका कोई परिचित मनोरोग से ग्रस्त है तो हम आपसे आग्रह करते हैं कि किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करें, हमारे हेल्पलाइन पार्टनर को कॉल करें या अपने आसपास थेरेपिस्ट की खोज करें।

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